नको वीट मानू रघूनायकाचा |
अती आदरे बोलिजे राम वाचा ||
न वेचे मुखी सापडे रे फुकाचा |
करी घोष त्या जानकीवल्लभाचा ||९१||
अती आदरे बोलिजे राम वाचा ||
न वेचे मुखी सापडे रे फुकाचा |
करी घोष त्या जानकीवल्लभाचा ||९१||
नामस्मरण से उकता गया ऐसा मत कहो
आपकी वाचा तो आदरपुर्वक राम पर केंद्रित हो
यदि आपकी वाणी में राम हैं तो आप उन्हें पायेंगे ही
आपके मुंह से जानकीनायक राम का जयघोष हो
आपकी वाचा तो आदरपुर्वक राम पर केंद्रित हो
यदि आपकी वाणी में राम हैं तो आप उन्हें पायेंगे ही
आपके मुंह से जानकीनायक राम का जयघोष हो
अती आदरे सर्वही नामघोषे |
गिरीकंदरी जाईजे दूरि दोषे ||
हरी तिष्ठतू तोषला नामघोषे |
विशेषे हरामानसी रामपीसे ||९२||
गिरीकंदरी जाईजे दूरि दोषे ||
हरी तिष्ठतू तोषला नामघोषे |
विशेषे हरामानसी रामपीसे ||९२||
आपको आदरपुर्वक हरिनाम का उद्घोष करना हैं
आपके दोष आपसे दूर गिरिकन्दराओं में भाग जायेंगे
जहाँ नामघोष होता हैं वहां साक्षात् हरि निवास करते हैं
इसीलिए शिवजी विशेषरूपसे हरि पर ध्यान लगाते हैं
आपके दोष आपसे दूर गिरिकन्दराओं में भाग जायेंगे
जहाँ नामघोष होता हैं वहां साक्षात् हरि निवास करते हैं
इसीलिए शिवजी विशेषरूपसे हरि पर ध्यान लगाते हैं
जगी पाहता देव हा अन्नदाता |
तया लागली तत्त्वता सार चिंता ||
तयाचे मुखी नाम घेता फुकाचे |
मना सांग पा रे तुझे काय वेचे ||९३||
तया लागली तत्त्वता सार चिंता ||
तयाचे मुखी नाम घेता फुकाचे |
मना सांग पा रे तुझे काय वेचे ||९३||
अन्नदाता तो परम दयालु परमेश्वर ही हैं
तत्वरूपसे इस विश्व की सारी चिंता उसको हैं
मुंह से हरिनाम लेना हैं
और अपने कार्य में लगे रहना हैं
तत्वरूपसे इस विश्व की सारी चिंता उसको हैं
मुंह से हरिनाम लेना हैं
और अपने कार्य में लगे रहना हैं
तिन्ही लोक जाळू शके कोप येता |
निवाला हरू तो मुखे नाम घेता ||
जपे आदरे पार्वती विश्वमाता |
म्हणोनी म्हणा तेचि हे नाम आता ||९४||
निवाला हरू तो मुखे नाम घेता ||
जपे आदरे पार्वती विश्वमाता |
म्हणोनी म्हणा तेचि हे नाम आता ||९४||
शिवजी तो क्रोधित होने से तीनों लोकों को जला सकते हैं
लेकिन मुंह से रामनाम लेने से शिवजी शीतल हो जाते हैं
माँ पार्वतीजी भी तो रामनाम में तल्लीन रहती हैं
तो फिर क्या आप राम का नाम नहीं लेंगे
लेकिन मुंह से रामनाम लेने से शिवजी शीतल हो जाते हैं
माँ पार्वतीजी भी तो रामनाम में तल्लीन रहती हैं
तो फिर क्या आप राम का नाम नहीं लेंगे
अजामेळ पापी वदे पुत्रकामे |
तया मुक्ति नारायणाचेनि नामे ||
शुकाकारणे कुंटणी राम वाणी |
मुखे बोलिता ख्याति जाली पुराणी ||९५||
तया मुक्ति नारायणाचेनि नामे ||
शुकाकारणे कुंटणी राम वाणी |
मुखे बोलिता ख्याति जाली पुराणी ||९५||
अजामिल पापी पुत्र को बुलाने के लिए रामनाम लेता हैं
रामनाम लेने मात्र से वो तर जाता हैं
गणिका को भी रामनाम ने तारा
नामस्मरण करनेवाले पुराणों में विख्यात हुए
रामनाम लेने मात्र से वो तर जाता हैं
गणिका को भी रामनाम ने तारा
नामस्मरण करनेवाले पुराणों में विख्यात हुए
महाभक्त प्रल्हाद हा दैत्यकूळी |
जपे रामनामावळी नित्यकाळी ||
पिता पापरूपी तया देखवेना |
जनीं दैत्य तो नाम मूखे म्हणेना ||९६||
जपे रामनामावळी नित्यकाळी ||
पिता पापरूपी तया देखवेना |
जनीं दैत्य तो नाम मूखे म्हणेना ||९६||
महाभक्त प्रल्हाद दैत्यकुल में जन्मे
वे हरदम रामनाम का जाप करते थे
उनके अहंकारी पिता से यह देखा न गया
जो अहंकारी हैं उसे तो खुदका नाम चाहिए
वे हरदम रामनाम का जाप करते थे
उनके अहंकारी पिता से यह देखा न गया
जो अहंकारी हैं उसे तो खुदका नाम चाहिए
मुखी नाम नाही तया मुक्ति कैची |
अहंतागुणे यातना ते फुकाची ||
पुढे अंत येईल तो दैन्यवाणा |
म्हणोनी म्हणा रे म्हणा देवराणा ||९७||
अहंतागुणे यातना ते फुकाची ||
पुढे अंत येईल तो दैन्यवाणा |
म्हणोनी म्हणा रे म्हणा देवराणा ||९७||
रामनाम के बिना तो मुक्ति सम्भव नहीं
अहंकार में बढ़ौतरी होनेसे यातना होगी
बड़ी ही दीनता से सब समाप्त हो जायेगा
इसीलिए राम का स्मरण हमेशा बना रहे
अहंकार में बढ़ौतरी होनेसे यातना होगी
बड़ी ही दीनता से सब समाप्त हो जायेगा
इसीलिए राम का स्मरण हमेशा बना रहे
हरीनाम नेमस्त पाषाण तारी |
बहू तारिले मानवी देहधारी ||
तया रामनामी सदा जो विकल्पी |
वदेना कदा जीव तो पापरूपी ||९८||
बहू तारिले मानवी देहधारी ||
तया रामनामी सदा जो विकल्पी |
वदेना कदा जीव तो पापरूपी ||९८||
हरिनाम ने तो पत्थर भी तारे हैं
रामनाम अंकित देह भी तरा हैं
रामनाम का जो विकल्प ढूंढ़ता हैं
वह विमुख जीव तो पापरूप हैं
रामनाम अंकित देह भी तरा हैं
रामनाम का जो विकल्प ढूंढ़ता हैं
वह विमुख जीव तो पापरूप हैं
जगी धन्य वाराणसी पुण्यराशी |
तयेमाजि जाता गती पूर्वजांसी ||
मुखे रामनामावळी नित्यकाळी |
जिवा हीत सांगे सदा चंद्रमौळी ||९९||
तयेमाजि जाता गती पूर्वजांसी ||
मुखे रामनामावळी नित्यकाळी |
जिवा हीत सांगे सदा चंद्रमौळी ||९९||
धन्य हैं पुण्यनगरी वाराणसी
जहाँ जानेसे पुरखो का भी उद्धार होता हैं
मुंह में निरन्तर हरिनाम होने से क्या हो सकता हैं
इसी बात को शिवजी वहां आनेवाले को बताते हैं
जहाँ जानेसे पुरखो का भी उद्धार होता हैं
मुंह में निरन्तर हरिनाम होने से क्या हो सकता हैं
इसी बात को शिवजी वहां आनेवाले को बताते हैं
यथासांग रे कर्म तेही घडेना |
घडे धर्म ते पुण्यगाठी पडेना ||
दया पाहता सर्व भूती असेना |
फुकाचे मुखी नाम तेही वसेना ||१००||
घडे धर्म ते पुण्यगाठी पडेना ||
दया पाहता सर्व भूती असेना |
फुकाचे मुखी नाम तेही वसेना ||१००||
शास्त्रोक्त रूप से कर्म करना नहीं आता
खाते में पूण्य भी नहीं हैं जिससे धर्म में गति हो
सब जीवों के प्रति दयाभाव भी नहीं हैं
अब क्या रामनाम लेनेमें भी दिक्कत होती हैं
खाते में पूण्य भी नहीं हैं जिससे धर्म में गति हो
सब जीवों के प्रति दयाभाव भी नहीं हैं
अब क्या रामनाम लेनेमें भी दिक्कत होती हैं
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